Friday, April 21, 2017

वसंत ऋतु में कैसी हो आपकी ऋतुचर्या

बसंत ऋतु में कैसा हो आपका खान पान बता रहे हैं बता रहे हैं जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव

वसंत ऋतु में आयुर्वेद ने खान-पान में संयम की बात कहकर व्यक्ति एवं समाज की नीरोगता का ध्यान रखा है। इस ऋतु में लाई, भूने हुए चने, ताजी हल्दी, ताजी मूली, अदरक, पुरानी जौ, पुराने गेहूँ की चीजें खाने के लिए कहा गया है। इसके अलावा मूँग बनाकर खाना भी उत्तम है। नागरमोथ अथवा सोंठ डालकर उबाला हुआ पानी पीने से कफ का नाश होता है। मन को प्रसन्न करें एवं हृदय के लिए हितकारी हों ऐसे आसव, अरिष्ट जैसे कि मध्वारिष्ट, द्राक्षारिष्ट, गन्ने का रस, सिरका आदि पीना लाभदायक है। वसंत ऋतु में आने वाला होली का त्यौहार इस ओर संकेत करता है कि शरीर को थोड़ा सूखा सेंक देना चाहिए जिससे कफ पिघलकर बाहर निकल जाय। सुबह जल्दी उठकर थोड़ा व्यायाम करना, दौडऩा अथवा गुलाटियाँ खाने का अभ्यास लाभदायक होता है। मालिश करके सूखे द्रव्य आँवले, त्रिफला अथवा चने के आटे आदि का उबटन लगाकर गर्म पानी से स्नान करना हितकर है।


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गॉलब्लैडर (पित्ताशय) और बाईल डक्ट कैंसर

गॉलब्लैडर कैंसर देश में एक गंभीर समस्या बना हुआ है, गॉलब्लैडर कैंसर पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक होता है। दरअसल पित्ताशय की पथरी वाले लोगों में गॉलब्लैडर कैंसर या बाईल डक्ट कैंसर होने का जोखिम अधिक होते हैं। बाईल डक्ट कैंसर के मामले एशिया में सबसे अधिक पाए जाते हैं। ये लिवर फ्ल्यूहक पैरासाईट, स्लेरोसिंग कोलेनजाईटिस, अल्सिरेटिव कोलाईटिस और साइरोसिस तथा सिरोसिस संक्रमणों से जुड़े होते हैं। कैसे पहचाने गॉलब्लैडर कैंसर और क्या है इसका कारक इस बारे में जानकारी दे रहे हैं जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव। पेट के ऊपरी हिस्से में यकृत के नीचे मौजूद पित्ताशय अर्थात गॉलब्लैडर एक छोटा, नाशपाती के आकार के अंग होता है, इसकी कोशिकाओं में अनियंत्रित बढ़त होने पर यह गॉलब्लैडर पित्ताशय और बाईल डक्ट कैंसर बन जाता है।

पित्ताशय के कैंसर के सामान्य लक्षण

पेट दर्द: पित्ताशय के कैंसर में अधिकांश लोगों को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में दर्द होता है। यदि पित्त की पथरी या कैंसर पित्त नली (ब्लाॅक) को अवरुद्ध कर रहा है तो तेज दर्द हो सकता हैं। मतली या उल्टी: पीलिया: पित्ताशय के कैंसर से ग्रसित 50% व्यक्तियों में पीलिया होता है।
पीलिया मे त्वचा और आँखो का सफेद हिस्सा पीला हो जाता है। पीलिया रक्त में बिलिरूबिन (एक रसायन जो पित्त को पीला रंग देता है) के संचयन होने के कारण होता है।

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Jivak Ayurveda Cancer Hospital

Jivak Ayurveda Cancer Hospital was founded with the mission of ‘Ayurvedic care of every life’. Our objective of making people happy and healthy through authentic Ayurvedic treatment For Cancer ( कर्कटा अर्बुद ), AIDS, Hepatitis and delivered at their doorstep is a direct response to the growing ailments and disorders such as diabetes, arthritis, asthma, obesity, hypertension, spondylitis, piles, skin problems, sexual disorders, etc. Most of these diseases affecting the global community today do not have an effective treatment available in modern medicine. Jivak’s Ayurvedic Clinics and Panchakarma Center is undoubtedly the future of Ayurveda. This modern center of wellness offer personalized consultations and are well equipped to provide a range of Ayurvedic treatments to help people stay healthy and seek a permanent and effective cure against diseases. Our main center is located at Lucknow the capital of UP, India, and offers residential facilities for patients who wish to stay with us and get their treatment done. Additionally, we also provide outpatient services through our clinic which are strategically located across India.