Saturday, March 16, 2019

World Sleep Day 2019: जानिए आपके लिए कितनी जरूरी है नींद, इन बातों का रखें ध्यान

World Sleep Day 2019 हर साल 15 मार्च को वर्ल्ड स्लीप-डे मनाया जाता है। वर्ल्ड स्लीप डे को वर्ल्ड स्लीप डे कमेटी ऑफ द वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को नींद की समस्याओं के बोझ से छुटकारा दिलाना और नींद की गड़बडि़यों को लेकर लोगों को जागरूक करना होता है। इस साल वर्ल्ड स्लीप-डे का विषय ‘स्वस्थ नींद, स्वस्थ आयु’ है। वैसे तो नींद सभी को प्यारी होती है और इसके कई फायदे भी हैं। वर्ल्ड स्लीप-डे पर इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं जीवक आयुर्वेदा के निदेशक टी के श्रीवास्तव ।

नींद हमारे शरीर और मस्तिष्क दोनों के लिए प्रकृति का वरदान है। दौड़ती-भागती तनाव भरी जिंदगी में नींद का महत्व और बढ़ गया है। रोजाना की भागदौड़, आपाधापी के चक्कर में हम ठीक से खाना और सोना तक भूल गए हैं, जिसकी वजह से अनेक शारीरिक और मानसिक परेशानियां हमें घेरने लगी हैं। ट्रैफिक की रेडलाइट से लेकर मोबाइल पर बेकार के मैसेजेज, इंटरनेट और न जाने कितनी चीजें हमें व्यर्थ का तनाव देती हैं।

दिनभर की भागदौड़ के बाद हम थक कर घर वापस आते हैं तो हमें सुकून भरी और आरामदायक नींद की आवश्यकता होती है। रात में कम से कम 6 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए, जिससे अगले दिन के कामकाज के लिए अपने मस्तिष्क को तरोताजा कर सकें। इस तरह से हम अपने जीवन का एक तिहाई हिस्सा सोने में बिता देते हैं, जो हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी होता है।

दो तरह की नींद 
हम दो तरह की नींद लेते हैं। एक वह नींद, जिससे हम शारीरिक रूप से ज्यादा क्रियाशील रहते हैं। इसमें हमारी आंखें हिलती-डुलती रहती हैं। इस नींद में जब हम कोई स्वप्न देखते हैं तो उसे याद रख पाते हैं। दूसरी तरह की नींद में हमारी शारीरिक क्रिया न्यूनतम होती है। इस समय हम गहरी नींद में होते हैं, जिससे शरीर और मस्तिष्क को ज्यादा आराम और सुकून मिलता है। इस चैनभरी नींद से एक तरह से हमारे शरीर का उपचार होता है। लोगों के सोने की आदत अलग-अलग किस्म की होती है। कुछ लोग लंबी नींद लेने में विश्वास रखते हैं, तो कुछ थोड़े समय की नींद लेते हैं। 6 घंटे की नींद लेने वाले व्यक्ति काफी चुस्त-दुरुस्त होते हैं, जबकि 9 घंटे और इससे ज्यादा लंबी नींद लेने वाले लोग नींद के आशक्त होते हैं।

नीद न आने वाली बीमारी (अनिद्रा) 
अनिद्रा एक नींद से सम्बन्धित समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है। संक्षेप में, अनिद्रा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए नींद आना या सोते रहना मुश्किल होता है। अनिद्रा के प्रभाव बहुत भयंकर हो सकते हैं। अनिद्रा आमतौर पर दिन के समय नींद, सुस्ती, और मानसिक व शारीरिक रूप से बीमार होने की सामान्य अनुभूति को बढाती है। मनोस्थिति में होने वाले बदलाव (मूड स्विंग्स), चिड़चिड़ापन और चिंता इसके सामान्य लक्षणों से जुड़े हुए हैं। अनिद्रा में नींद से जुड़े विकारों की एक विस्तृत श्रृंखला है, जिसमें अच्छी नींद के अभाव से लेकर नींद की अवधि में कमी से जुडी समस्याएं हैं। अनिद्रा को आमतौर पर तीन प्रकारों में विभाजित किया जाता है।

अस्थायी अनिद्रा: यह तब होती है, जब लक्षण तीन रातों तक रहते हैं।
एक्यूट अनिद्रा: इसे अल्पकालिक अनिद्रा भी कहा जाता है। लक्षण कई हफ्तों तक जारी रहते हैं।
क्रोनिक अनिद्रा: यह आमतौर पर महीनों और कभी-कभी सालों तक रहती है।

दिल के लिए है खतरनाक
नींद और हृदय गति का गहरा संबंध होता है। एक ताजा में शोध में यह बात सामने आयी है। हृदय रोगियों पर किए गए ताजा अध्ययन में पाया गया कि 96 फीसदी हृदय रोगियों में नींद के दौरान श्वसन संबंधी समस्या पाई जाती है। एक अन्य अध्ययन में यह बात साफ हुई थी कि 58 प्रतिशत हृदय रोगी नींद संबंधित समस्या से ग्रसित होते हैं और इनमें से 85 फीसदी को इस समस्या तथा हृदय रोग और नींद की कमी के संबंध का पता नहीं होता।