Monday, May 7, 2018

हृदय एक जटिल तंत्र : जाने आपके लिए क्या करता है आपका दिल

लोग हृदय में उलझते हैं , वे हृदय की शब्दावली में भी उलझ रहे हैं। सो कुछ बातों से अवगत कराना आवश्यक हो जाता है। इन शब्दों का प्रयोग बहुधा हृदय-रोग-विशेषज्ञ करते हैं :
#मायोकार्डियल इन्फार्क्शन ,
#एंजायना पेक्टोरिस ,
#एरिद्मिया और
#कार्डियल एरेस्ट।
अब चारों पर बात और साथ-साथ कुछ आम अस्पष्ट शब्दों पर भी।

मनुष्य के पास एक ह्रदय है , जो एक मांस का लोथड़ा है। खोखला है। जीवन भर धड़कता है। शरीर से आते ख़ून से भरता है , शरीर को फिर ख़ून फेंकता है। लेकिन इस मज़दूर को भी ख़ुराक चाहिए। नहीं तो यह भी कमज़ोर हो सकता है। घायल हो सकता है। मर भी सकता है। सबको ख़ून देने वाले हृदय को ख़ून देने वाली तीन धमनियाँ हैं , जिन्हें कोरोनरी धमनियाँ कहा गया है। इन धमनियों में अगर रक्तप्रवाह आधा-अधूरा या पूरा अवरुद्ध होगा तो हृदय के लिए समस्याएँ पैदा होगी। ये समस्याएँ ही ऊपर के चिकित्सकीय नामों में आपको बताई गयी हैं।

कोई धमनी पूरी तरह खून के थक्के से बन्द हो जाए , तो जिस हिस्से में वह खून पहुँचाती हो , वह मर जाए। हृदय का उतना मांस मृत। यह मायोकार्डियल इन्फार्क्शन हुआ। इसे ही आम भाषा में जनता कई बार हार्ट-अटैक कह देती है। फिर अगर यह अवरोध का आधा-अधूरा हुआ तो हो सकता है कि दर्द चलने या काम करने पर हो लेकिन आराम करने पर न हो। यह स्थिति एंजायना पेक्टोरिस कहलाती है। एंजायना यानी दर्द , चाहे वह कहीं का भी हो। पेक्टोरिस यानी छाती का। तो इस तरह एंजायना पेक्टोरिस छाती में हृदय के कारण उठने वाले उस दर्द को कहा जाने लगा , जो मायोकार्डियल इन्फार्क्शन से कुछ कमतर है। स्टेबल एंजायना एंजायना का पहला प्रकार है , जो काम करने पर या तनाव पर उठता है और कुछ देर में आराम करने पर मिट जाता है।

एन्जायनारोधक दवाओं से इसमें आराम पड़ जाता है। लेकिन फिर एंजायना के और प्रकार भी हैं। कई बार यह दर्द बैठे-बैठे बिना कोई काम किये या बिना तनाव के हो गया। सामान्य एंजायना से यह दर्द कुछ लम्बा खिंच गया। या फिर एन्जाइनरोधक दवाओं से नहीं गया। इस तरह के एंजायना को अनस्टेबल एंजायना कहा जाता है। या फिर कोरोनरी बन्द न हुई हो , सिकुड़ गयी हो। अब इस प्रकार के एंजायना को प्रिंज़मेटल एंजायना कहा जाता है। या ऐसा भी हो सकता है कि कोरोनरी में ख़ून का रुकाव हो , लेकिन दर्द न हो। व्यक्ति को पता ही न चले। या मामूली उलझन-भर हो। या सिर्फ़ घबराहट। यह स्थिति सायलेंट एंजायना कहलाती है। डायबिटीज़ में ऐसी कई मौतों से डॉक्टर रोज़ जूझते हैं। अब आइए कार्डियक एरेस्ट पर। कार्डियक एरेस्ट यानी हृदय का रुकना। हृदय धड़कते-धड़कते कब रुकेगा। जब उसकी इतनी मांसपेशी को ख़ून न मिले कि वह बिना ऑक्सीजन मर जाए। लेकिन फिर कई बार स्वस्थ हृदय भी ख़ून में तमाम रसायनों-तत्त्वों के बढ़ने-घटने से रुक सकता है। मांसपेशी ठीक है , लेकिन खून का पर्यावरण गड़बड़ है। ऐसा कैसे होगा इसके लिए एरिद्मिया को ध्यान में रखनी ज़रूरी है। ( इसी कार्डियक एरेस्ट को साधारण लोग हार्ट फ़ेल होना भी कह देते हैं। )

हृदय मांसपेशी है। उसमें एक बिजली की लहरदार कौंध उठती है , तो वह धड़कता हुआ जिस्म में ख़ून फेंकता है। इस धड़कन का एक नियम , एक क्रम है। यही क्रम आपको ईसीजी में दिखता है। अब चाहे हृदय को ख़ून ढंग से न मिले और चाहे ख़ून में कोई गड़बड़ हो जाए , उसके धड़कन अनियमित हो सकती है। वह मरा नहीं है , लेकिन वह रुक सकता है। वह अभी जीवित है , लेकिन आराम करने लग गया। लेकिन उसके आराम ने मनुष्य की जान ले ली। यही कार्डियक एरेस्ट है। कई बार यह रुका हृदय दोबारा चल पड़ता है , कई बार कभी नहीं चलता। लेकिन अगर रुका हृदय दोबारा चला पर देर से चला , तो तब तक मस्तिष्क मर गया। अब यह मरा मस्तिष्क लेकिन चलता हृदय लिये व्यक्ति भला किस काम का ! यही ब्रेन-डेथ की स्थिति है।

( इण्टरनेट से लिये चित्र में तीन कॉरोनरियों को लपेटे सतत कर्मशील मनुष्य-हृदय। मायोकार्डियल इन्फार्क्शन और अनस्टेबल एंजायना में ईसीजी और ख़ून की जाँचों के आधार पर कुछ और भेद-प्रभेद हैं , जिन्हें जानबूझ कर मैंने छोड़ दिया है। )

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