Monday, June 3, 2019

कहीं आप प्रोस्टेट-कैंसर की तरफ तो नहीं बढ़ रहे ?

प्रोस्टेट कैंसर को जानिए 

पुरुषों में होने वाले कैंसरों में प्रोस्टेट-कैंसर का नाम प्रमुख है। अखरोट के आकार की प्रोस्टेट-ग्रन्थि का काम अपने स्रावों द्वारा शुक्राणुओं को आहार व गति प्रदान करना होता है।

प्रोस्टेट-कैंसर आरम्भ में इसी ग्रन्थि तक सीमित रहता है ,किन्तु बाद में आसपास के व दूर के अंगों में फैल भी सकता है। उम्र बढ़ने के साथ इसकी आशंका बढ़ती है। मोटापे से भी इसका सम्बन्ध पाया गया है और कई बार आनुवंशिकी( जेनेटिक्स ) के कारण एक ही परिवार के कई पुरुषों में यह हो सकता है।

पेशाब की धार का पतला होना अथवा पेशाब करने में असमर्थता इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। वीर्य में खून आना , शिश्न के स्तम्भन में समस्या , कमर के नीचे के इलाक़े में अथवा हड्डियों में दर्द भी कई बार देखने को मिल सकता है।

यद्यपि यह रोग किसी भी पुरुष में हो सकता है , लेकिन कुछ क़दम हम इससे बचने के लिए उठा सकते हैं। ताज़े फलों-सब्ज़ियों का सेवन , खाद्य-सप्लीमेंटों से दूर रहना , कसरत करना व वज़न नियन्त्रित रखना एवं कोई भी ऊपर बताये गये लक्षणों के होने पर डॉक्टर से मिलना ही इस रोग के विरोध में समय रहते उठाये गये उचित क़दम हैं।

डॉक्टर इस रोग की पुष्टि के लिए कई जाँचें करते हैं। उँगली को मलद्वार के रास्ते प्रवेश करके प्रोस्टेट को महसूस करना ( डिजिटल रेक्टल एग्ज़ामिनेशन ) इनमें महत्त्वपूर्ण है। फिर प्रोस्टेट स्पेसिफ़िक एंटीजन नामक जाँच भी ख़ून में करायी जाती है। आवश्यकतानुसार प्रोस्टेट की अल्ट्रासोनोग्राफ़ी एवं बायॉप्सी भी की जाती हैं। इन सब के बाद पुष्टि होने पर प्रोस्टेट-कैंसर का उपचार डॉक्टर आरम्भ करते हैं।

डॉ विवेकश्रीवास्तव
जीवक आयुर्वेदा 
हेल्पलाइन 7704996699

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